मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008

आदमी

सोना जब
भट्टी मे तपता है
कुन्दन बनता है ,
और जब कसौटी
पर खरा उतरता है
उसका सही दाम लगता है
वाह रे !
मेरे देश ; यहाँ
जब कोई इंसान
तप कर
हर कसौटी पर
खरा उतरता है
वैज्ञानिक,साहित्यकार
समाजसेवी
यह कहो
कुछ न कुछ बनता है
कौडियों के दाम बिकता है ।

विजय गुप्ता 'अभय '